राग : मल्हार
जुलन के दीन आये,
हिंडोरे माई जूलन के दीन आये।
गरजत गगन, दामिनी कोंधत,
राग मल्हार जमाये ॥१॥
कंचन खंभ सुढार बनाए,
बीचबीच हीरा लाए ।
डांडी चार सुदेश सुहाई,
चोकी हेम जराये ॥२॥
नाना विधिके कुसुम मनोहर,
मोतीन जुमक छाए ।
मधुर मधुर ध्वनि वेणु बजावत,
दादुर मोर जिवाये ॥३॥
रमकन जमकन पियप्यारीकी,
किंकिणी शब्द सुहाये ।
चतुर्भुजप्रभु गिरिधरनलाल संग,
मानिनी मंगल गाये ॥४॥
जुलन के दीन आये,
हिंडोरे माई जूलन के दीन आये।
गरजत गगन, दामिनी कोंधत,
राग मल्हार जमाये ॥१॥
कंचन खंभ सुढार बनाए,
बीचबीच हीरा लाए ।
डांडी चार सुदेश सुहाई,
चोकी हेम जराये ॥२॥
नाना विधिके कुसुम मनोहर,
मोतीन जुमक छाए ।
मधुर मधुर ध्वनि वेणु बजावत,
दादुर मोर जिवाये ॥३॥
रमकन जमकन पियप्यारीकी,
किंकिणी शब्द सुहाये ।
चतुर्भुजप्रभु गिरिधरनलाल संग,
मानिनी मंगल गाये ॥४॥
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