राग : मल्हार
ये बड़भागी मोर,
देखो माई, ये बड़भागी मोर।
जीनकी पंखको मुकुट बनत है,
सीर धरे नंदकिशोर ॥१॥
ये बड़भागी नन्द जशोदा,
पुण्य किये भरी जोर ।
वृन्दावन हम क्यों ना भये,
लागत पग की कोर ॥२॥
ब्रह्मादिक सनकादिक नारद,
ठाडे है कर जोर ।
सूरदास संतनको सरवस,
देखियत माखनचोर ॥३॥
ये बड़भागी मोर,
देखो माई, ये बड़भागी मोर।
जीनकी पंखको मुकुट बनत है,
सीर धरे नंदकिशोर ॥१॥
ये बड़भागी नन्द जशोदा,
पुण्य किये भरी जोर ।
वृन्दावन हम क्यों ना भये,
लागत पग की कोर ॥२॥
ब्रह्मादिक सनकादिक नारद,
ठाडे है कर जोर ।
सूरदास संतनको सरवस,
देखियत माखनचोर ॥३॥
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