राग : भैरव
प्रात: समय श्री वल्लभसुतको, उठतही रसना लीजे नाम ।
आनंद्कारी प्रभु मंगलकारी , अशुभहरण जन पूरण काम ॥१॥
याहि लोक परलोकके बंधु , को कही सकत तिहारे गुणगान ।
नंददास प्रभु रसिक शिरोमणि, राज करो श्री गोकुल सुखधाम ॥२॥
Friday, May 11, 2007
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