राग : टोडी
भक्त को सुगम श्री यमुने अगम ओरें ।
प्रात ही न्हात अघजात ताकें सकल
जमहुं रहत ताहि हाथ जोरे ॥१॥
अनुभवि बिना अनुभव कहा जानही
जाको पिया नही चित्त चोरें ।
प्रेम के सिंधु को मरम जान्यो नही,
सूर कहे कहा भयो देह बोरे ॥२॥
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