राग : मल्हार
हों तो एक नई बात सुन आई।
महरि जसोदा ढोटा जायो,
आंगन बजत बधाई ॥१॥
कहिये कहा कहत नहि आवे,
रतन भूमि छबि छाई ।
नाचत बिरध तरुण अरु बालक,
गोरस कीच मचाई ॥२॥
द्वारें भीतर गोप ग्वालन की,
वरनों कहा बढाई ।
सूरदास प्रभु अंतरयामी,
नंदसुवन सुखदाई ॥३॥
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