Friday, July 27, 2007

ये बड़भागी मोर...


राग : मल्हार
ये बड़भागी मोर,
देखो माई, ये बड़भागी मोर।
जीनकी पंखको मुकुट बनत है,
सीर धरे नंदकिशोर ॥१॥

ये बड़भागी नन्द जशोदा,
पुण्य किये भरी जोर ।
वृन्दावन हम क्यों ना भये,
लागत पग की कोर ॥२॥

ब्रह्मादिक सनकादिक नारद,
ठाडे है कर जोर ।
सूरदास संतनको सरवस,
देखियत माखनचोर ॥३॥

गोवर्धन पर मुरवा...

राग : मल्हार

गोवर्धन पर मुरवा,
बोले माई, गोवर्धन पर मुरवा,
तेसिये श्यामघन मुरिली बजाई,
तेसेही उठे झुक धुरवा ।१।

बड़ी बड़ी बूंदन बर्खन लाग्यो,
पवन चलत अति जुरवा,
सूरदासप्रभु तिहारे मिलन को,
निस जागत भयो भुरवा ॥२॥

Wednesday, July 11, 2007

कमल मुख देखत.....

राग : सुहो

कमल मुख देखत, तृप्त ना होय ।
यह सुख कहा दुहागीन जाने, रही निसाभर सोय ॥ १॥

ज्यों चकोर चाहत उडुराजे, चंद वदन रही जोय ।
नेक अकोर देत नही राधा, चाहत पीयरी निचोय ॥ २॥

उन् तो अपनों सर्वस्व दीनो, एक प्राण वपु दोय ।
भजन भेद न्यारो परमानन्द, जानत विरला कोय ॥ ३॥