राग : रामकली
पिय संग रंग भरि करि किलोलें ।
सबन कों सुख देन पिय संग करत सेन,
चित्त में परत चेन जब हीं बोलें ॥१॥
अति हि विख्यात सब बात इनके हाथ,
नाम लेत कृपा करें अतोलें ।
दरस करि परस करि ध्यान हिय में धरें,
सदा ब्रजनाथ इन संग डोलें ॥२॥
अतिहि सुख करन दुख सबके हरन,
एही लीनो परन दे झकोले ।
ऐसी यमुने जान तुम करो गुनगान,
रसिक प्रियतम पाये नग अमोले ॥३॥
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