राग : सारंग
फूलन की मंडली मनोहर बैठे, जहाँ रसिक पिय प्यारी ।
फूलन के बागे और भूषण, फूलन की पाग संवारी ॥१॥
ढिंग फूली वृषभान नंदिनी, तैसिये फूल रही उजियारी ।
फूलन के झूमका झरोखा बहु, फूलन की रची अटारी ॥२॥
फूले सखा चकोर निहारत, बीच चंद मिल किरण संवारी ।
चतुर्भुज दास मुदित सहचारी, फूले लाल गोवर्धन धारी ॥३॥
Friday, May 11, 2007
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