राग : सारंग
पवित्रा पहरे परमानंद।
श्रावन सुदी एकादशी के दिन,
गिरिधर परमानंद॥१॥
श्री वृषभाननंदिनी निजकर,
ग्रथित विविध पटभांत।
ता मध्य सुभग सुवर्ण सुत्रसो,
पोई नवमती जात॥२॥
पवित्रा पहरे हिंडोरे जुलत,
दोउ आनंद कंद।
जमुना पुलिनमें कुंज मनोहर,
गावत परमानंद॥३॥
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