राग : सारंग
राखी बांधत बहिन सुभद्रा,
बल अरु श्री गोपाल के।
कंचन रत्न थार भरि मोती,
तिलक दियो नंदलाल के॥१॥
आरति करत रोहिणी जननी,
अंतर बढे अनुराग के।
आसकरण प्रभु मोहन नागर,
प्रेम पुंज ब्रज बाल के॥२॥
Sunday, August 26, 2007
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