राग : मालकोंस
धन्य श्री यमुने निधि देनहारी ।
करत गुणगान अज्ञान अध दूरि करि,
जाय मिलवत पिय प्राणप्यारी ॥१॥
जिन कोउ सन्देह करो बात चित्त में धरो,
पुष्टिपथ अनुसरो सुखजु कारी ।
प्रेम के पुंज में रासरस कुंज में,
ताही राखत रसरंग भारी ॥२॥
श्री यमुने अरु प्राणपति प्राण अरु प्राणसुत,
चहुजन जीव पर दया विचारी ।
छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल
प्रीत के लिये अब संग धारी ॥३॥
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment