Thursday, May 24, 2007

२५) श्री यमुने रस खान को शीश नांऊ....

राग : सारंग

श्री यमुने रस खान को शीश नांऊ।
ऐसी महिमा जानि भक्त को सुख दान,
जोइ मांगो सोइ जु पाऊं ॥१॥

पतित पावन करन नामलीने तरन,
दृढ कर गहि चरन कहूं न जाऊं ।
कुम्भनदास लाल गिरिधरन मुख निरखत,
यहि चाहत नहिं पलक लाऊं ॥२॥

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