Friday, May 11, 2007

बात कहत रसरंग उच्छलीता



राग: सारंग

बात
कहत रसरंग उच्छलीता ।
फूलन के महल बिराजत दोउ , मन्द सुगंध निकट वहे सरिता ॥१॥
मुख मिलाय हस देखत दर्पणमें , सुंदर श्रमित उरमाल विगलिता ।
परमानन्द प्रभु प्रेम विवश भये , कही हममें सुंदर को है ललिता ॥२॥
बात कहत रसरंग उच्छलीता ।

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