Saturday, September 1, 2007

बादर झूम झूम बरसन लागे.....

राग : मल्हार

बादर झूम झूम बरसन लागे।
दामिनि दमकते, चोंक चमक श्याम,
घन की गरज सुन जागे ॥१॥

गोपी जन द्वारे, ठाडे नारी नर,
भींजत मुख देखन कारन अनुरागे।
छीतस्वामी गिरधरन श्री विट्ठल,
ओतप्रोत रस पागे ॥२॥

1 comment:

शब्द-सृष्टि said...

जय श्रीकृष्ण.
मन आंगन में सुर बरसन लागे
ब्लाँग की दुनिया में संगीतप्रेमियों के भाग जागे.