Tuesday, June 5, 2007

१८) नेह कारन श्री यमुने प्रथम आई...

राग : आसावरी

नेह कारन श्री यमुने प्रथम आई ।
भक्त के चित्त की वृत्ति सब जानके,
तहांते अतिहि आतुर जु धाई ॥१॥

जाके मन जैसी इच्छा हती ताहिकी,
तैसी ही आय साधजु पुजाई ।
नंददास प्रभु तापर रीझि रहे
जोई श्री यमुनाजी को जस जु गाई ॥२॥

No comments: