Tuesday, June 5, 2007

१७) भक्त पर करि कृपा श्री यमुने जु ऐसी...

राग: आसावरी

भक्त पर करि कृपा श्री यमुने जु ऐसी ।
छांडि निजधाम विश्राम भूतल कियो,
प्रकट लीला दिखाई जु तैसी ॥१॥

परम परमारथ करत है सबन कों ,
देत अद्भुतरूप आप जैसी ।
नंददास यों जानि दृढ करि चरण गहे,
एक रसना कहा कहो विसेषी ॥२॥

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