राग : बिलावल
श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता ।
जो इनकी शरण जात है दौरि के,
ताहि को तीहिं छिनु कर सनाथा ॥१॥
एहि गुन गान रसखान रसना एक ,
सहस्त्र रसना क्यों न दइ विधाता ।
गोविन्द प्रभु तन मन धन वारने,
सबहि को जीवन इनही के जु हाथा ॥२॥
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment