Wednesday, June 6, 2007

६) श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता....

राग : बिलावल

श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता ।
जो इनकी शरण जात है दौरि के,
ताहि को तीहिं छिनु कर सनाथा ॥१॥

एहि गुन गान रसखान रसना एक ,
सहस्त्र रसना क्यों न दइ विधाता ।
गोविन्द प्रभु तन मन धन वारने,
सबहि को जीवन इनही के जु हाथा ॥२॥

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