Tuesday, May 29, 2007

२२) भक्त को सुगम श्री यमुने अगम ओरें....

राग : टोडी

भक्त को सुगम श्री यमुने अगम ओरें ।
प्रात ही न्हात अघजात ताकें सकल
जमहुं रहत ताहि हाथ जोरे ॥१॥

अनुभवि बिना अनुभव कहा जानही
जाको पिया नही चित्त चोरें ।
प्रेम के सिंधु को मरम जान्यो नही,
सूर कहे कहा भयो देह बोरे ॥२॥

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