Wednesday, May 16, 2007

३०) भक्त प्रतिपाल जंजाल टारे....

राग : गौड सारंग

भक्त प्रतिपाल जंजाल टारे ।
अपने रस रंग मे, संग राखत सदा,
सर्वदा जोइ श्री यमुने नाम उच्चारे ॥१॥

इनकी कृपा अब, कहाँ लग बरनिये,
जैसे राखत जननी पुत्र बारे ।
श्री विट्ठल गिरिधरन संग विहरत,
भक्त को एक छीनू ना बिसारे ॥२॥

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