Tuesday, February 12, 2008

नवल वसंत नवल वृन्दावन....

राग : वसंत

नवल वसंत नवल वृन्दावन, नवल ही फुले फूल ।
नवल ही कान्ह नवल बनी गोपी, निर्तत एक ही तूल ॥१॥

नवल गुलाल उडे रंग बुका, नवल वसंत अमूल।
नवल ही छींट बनी केसरकी, चेट्त मन्मथ शूल ॥२॥

नवल ही ताल पखावज बाजत, नवल पवनके झूल।
नवल ही बाजे बाजत बहोत, कालिंदी के कूल ॥३॥

1 comment:

Anonymous said...

bahut khubsurat