Saturday, May 12, 2007

३९) श्री यमुने पिय को....

राग : कल्याण

श्री यमुने पिय को बस तुमजु कीने ।
प्रेम के फंदते, गहिजु राखे निकट ,
ऐसे निर्मोल नग मोल लीने ॥१॥

तुमजु पठावत, तहां अब धावत
तिहारे रसरंग में, रहत भीने ।
दास परमानंद, पाये अब ब्रजचंद,
परम उदार श्री यमुनेजु दान दीने ॥२॥

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