Thursday, May 24, 2007

२७) श्री यमुने पर तन मन धन प्राण वारो...

राग : सारंग

श्री यमुने पर तन मन धन प्राण वारो ।
जाकी कीर्ति विशद कौन अब कहि सकै,
ताहि नैनन तें न नेक टारों ॥१॥

चरण कमल इनके जु चिन्तत रहों,
निशदिनां नाम मुख तें उचारो ।
कुम्भनदास कहे लाल गिरिधरन मुख
इनकी कृपा भई तब निहारो ॥२॥

No comments: