Saturday, May 12, 2007

३७) श्री यमुने की आस अब....

राग : कल्याण

श्री यमुने की आस अब करत है दास ।
मन कर्म बचन, कर जोरिके मांगत,
निशदिन रखिये अपने जु पास ॥१॥

जहाँ पिय रसिकवर, रसिकनी राधिका,
दोउ जन संग मिलि, करत है रास।
दास परमानंद, पाये अब ब्रजचंद,
देखी सिराने नैन मंदाहास ॥२॥

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